माँ के देहावसान पर वह अब नहीं आएगी वापस ये हम पक्का कर आए थे नदी किनारे जिन्हें उसने प्रवाहित करने को कहा था उन पुस्तकों को प्रवाहित कर आए थे पर, उन्हें पढ़ने की लय को नहीं बहा पाए हम...
हिंदी समय में हरीशचंद्र पांडे की रचनाएँ